चिलचेलाती धुप आफ़ताब निस्फुन्नेहर का जलाल अपने शबाब पर था! ऐसा लगता था जैसे अपनी तेज़ धार किरनों से ज़मीं को जला कर ख़ाक कर देगा! लेकिन ज़मीन भी आफ़ताब की हमला आवर तपिश के मद्दे मुक़ाबिल फ़ेज़ा में उसकी सोज़िशें का जवाब दे रही थी! बरहना सर-ओ-पा हाथों के ज़ंजीर से ख़ुद के जकड़ क्र लेबासे शाही से गुरेज़ करता हुआ एक लश्कर के साथ पैदल…
Recent Comments